Just as a river can not become an ocean by looking at the ocean but only by becoming ocean, in the same way, God is not created by just looking at God alone, but by behaving like him, God becomes.
जिस प्रकार नदी सागर को देखकर ही नहीं किन्तु सागरमय होकर ही सागर बन पाती है, ठीक उसी प्रकार भगवान् को अकेले देखने मात्र से भगवान् नहीं बना जाता किन्तु उन जैसा आचरण करने से भगवान् बना जाता है।
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